संवाद : एक शिक्षण तंत्र के रूप में
शिक्षण के क्षेत्र में संवाद एक सामूहिक गतिविधि है जिसमें शिक्षक और छात्र समस्या को परिभाषित करते हैं और उसका समाधान तलाशते हैं। इसे ज्ञाननिर्माण की एक प्रक्रिया के रूप में भी वर्णित किया गया है जिसमें सुनने, सोचने के साथ-साथ छात्र की बोलने तथा लिखने की क्षमताएँ शामिल हैं।संवाद की तैयारी एवं संचालन
सोपान :
1. अभिविन्यास (Orientation)2. संलग्नता (Engagement)
3. व्याख्या / विवरण (Debrief)
अभिविन्यास
- चर्चा का विषय प्रदान करें।
- प्रश्न का स्पष्ट वर्णन करें।
- छात्रों को समझाएँ कि संवाद के लिए तैयारी कैसे करनी है।
- बताएँ कि संवाद कैसे आयोजित किया जाए।
- छात्रों को सोचने के लिए प्रेरित किया जाए।
संलग्नता
संलग्नता बनाए रखने के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान दे :
- अनुकूल वातावरण विकसित करें।
- संवाद पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्पष्ट प्रश्न प्रस्तुत करें।
- यदि आवश्यक हो तो छात्रों की मदद करें।
- प्रत्येक छात्र से प्रश्न का उत्तर मिलने की प्रतीक्षा करें।
- छात्रों की प्रगति को दर्ज करके रखें।
- छात्रों को अपने नोट्स बनाने के लिए समय दें।
- जो सीखते हैं उस पर प्रतिक्रिया करने की सुविधा छात्रों को प्रदान करें।
सैद्धांतिक दृष्टिकोण
सैद्धांतिक विचारों के अनुसार संवाद कार्य को सफल बनाने के लिए निम्नांकित बातों पर बल देने की ज़रूरत है:
- उद्देश्य सभी प्रतिभागियों को स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए।
- शिक्षक को मार्गदर्शन के लिए एक सूत्रधार के रूप में सावधानीपूर्वक तैयारी करनी चाहिए।
- प्रश्नों की रूपरेखा सावधानी से तैयार की जानी चाहिए।
- सभी सदस्यों को तैयार होकर आना चाहिए; क्यों कि संवाद के विषय पर उन्हें सामान्य जानकारी रहे।
- दल के नेता कार्यक्रमों का मार्गदर्शन करें और कार्यक्रम का समन्वय करें ताकि संवाद को मुख्य बिंदु पर केंद्रित रखा जा सके।
- संवाद के मुख्य मुद्दों को लिखकर रखें / रिकॉर्ड करें।
- दल के प्रत्येक सदस्य को भाग लेने के लिए स्वतंत्रा महसूस होना चाहिए और एक शर्मीले छात्र को भी योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- संवाद एक रिपोर्ट के साथ समाप्त होना चाहिए।
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